( तर्ज - तू तो उडता पंछी यार ० )
धनका मत कर भाई ! गुमान ,
किसि दिन धन
लेवेगा प्राण || टेक ||
धनके खातिर झूठ बोलकर ,
पाप किया मनमान
एक दिन आफत आ जावें तो ,
उड जावेगी जान ॥ १ ॥
बदन लँगोटी नही मिलेगी ,
समय पडे नादान |
छूट पडेगी महल - अटारी ,
घर होगा समशान ॥२ ॥
जोरू लडके दूर भगेंगे ,
नहीं रखेंगे मान ।
धन - धन ' करते रहेंगे सारे ,
क्यों भूला बेफाम ? ॥३ ॥
सुन्ने जैसी काया होगी ,
मिट्टीमें धुलधान ।
तुकड्यादास कहे प्रभु भजले ,
कर नेकी गुजरान ॥४ ॥
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा